जीवन में इक साल मनुज के ऐसा भी आया है ,
वक़्त मनुज के हाथ ना आया जिसने बतलाया है,
संघर्षों के साथ लिखी जायेगी नयी कहानी,
कोरोना ने कई योजना पर है फेरा पानी,
दूर देश जो लोग गये थे वापस ना आने थे,
अपने सपने पूरे कर घर भी वहीं बसाने थे,
छोड़ चुके थे देश को अपने करके वो मनमानी,
वो भी पीकर लौटे हैं घर घाट- घाट का पानी,
कोरोना ने कई योजना पर है फेरा पानी,
सब ने साथ बैठकर देखी पिक्चर कोई पुरानी,
दादा जी ने फिर बतलाई अपनी कोई कहानी,
साथ बैठकर खेल खेलते सौरभ,सोनू,रानी,
ऑनलाइन ही क्लास लिया करतीं हैं मैडम वानी,
कोरोना ने कई योजना पर है फेरा पानी,
नहीं किसी ने सोचा था कि ऐसा भी हो जाएगा,
टीवी में जो खलनायक है नायक बन दिखलायेगा,
रीललाइफ रियललाइफ की बिल्कुल अलग कहानी
नेताओं ने करी सियासत जनता एक ना मानी ,
कोरोना ने कई योजना पर है फेरा पानी।
नये साल पर नए रूप में फिर से ये आया है,
राजा – रंक नगरवासियों सबका मन घबराया है,
ऐसे में भी कुछ लोगों ने धन्धा नया बनाया है,
दवा हवा सब भाव बिक रहे जैसे सोनापानी,
लॉकडाउन ने कई योजना पर है फेरा पानी।
Niharika Bhadauriya , UG
SMIP
Etawah